Tuesday, September 22, 2009

बहुत हुई economy की लाइफ अब है luxury की बारी

बहुत हुआ संकोच अब है निसंकोच की बारी,
बहुत हुआ prepaid अब है postpaid की बारी,
बहुत हुआ SUFFER,रेल का, अब है प्लेन की बारी,
बहुत हुआ पानी अब है पेप्सी की बारी,
क्यूँ की बहुत हुई economy की लाइफ अब है luxury की बारी

अब नया दिन नया सूरज चमक आया है ,
अब colgate white नहीं close-up मुस्कान लाया है
अब हर चीज़ का है नया चस्का , ब्रेड पे भी है double मस्का,
अब side में deo,पोक्केट में पारकर,कस के जूता कस के बेल्ट ,लो निकल पड़ी हमारी सवारी,
क्यूँ की बहुत हुई economy की लाइफ अब है luxury की बारी

अब नाअई नहीं Barber के यहाँ जाना है,
अब cutting नहीं styling जो करवाना है,
अब कान में earring और रेल में suffering,
अब DTC क्यूँ,क्यूँ Nescafe में जाना ,जब CAB और Barista की आ गयी हो बारी,
अब Koutons क्यूँ,क्यूँ Bata ही लाना ,जब जेब हो गयी हो भारी,
क्यूँ की बहुत हुई economy की लाइफ अब है luxury की बारी

लकिन क्या अभी भी है Life इतनी आस्सं ,1 easy swap में जो जाये सम्मा,
क्या अभी भी life है उतनी आज़ादी भरी,जिस्समे पूरी आ जाये सारी ज़िम्मेदारी,
क्या अभी भी है सर्दी जुखाम भारी,जब high class भी होती हो बिमारी,
क्या life है उतनी फ्री,जब tension हो इस्सके साथ फ्री,
क्या गए वोह दिन ,वोह कागज़ की कश्ती वोह बारिश का पानी,
क्या अब नहीं कोई लोचा,कब life में इतना सारा था सोचा
क्यूँ की बहुत हुई economy की लाइफ अब है luxury की बारी